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Social media: What is the reality?

 सोशल मीडिया सच: झूठ और भ्रम ?Border Line Example

विभिन्न सोशल मीडिया; सोशल मीडिया के जाल को दर्शाते हुए।

छवि- माइक्रोसॉफ्ट डिजाइनर. 
विभिन्न सोशल मीडिया ऐप्लकैशन को लैपटॉप की स्क्रीन से रेखांकित किया गया है. 

आजकल लगभग हर कोई सोशल मीडिया का उपयोग कर रहा है, जो समय के साथ तेजी से बढ़ता जा रहा है।वर्तमान में, दुनियाभर में लगभग 5 अरब लोग सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं, जो वैश्विक जनसंख्या का 62.3% है।भारत में भी 861 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ता और 50 करोड़ सोशल मीडिया यूजर्स हैं।इन आंकड़ों से सोशल मीडिया की व्यापकता और लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

फेस्बूक ऐप्लकैशन को केंद्रित करते हुए।

छवि- माइक्रोसॉफ्ट डिजाइनर. 
मोबाइलस, फोनएस और व्यक्तियों के मध्य मे फेस्बूक ऐप्लकैशन आकर्षित करती हुई.  

सोशल मीडिया के प्रमुख उपयोग

पिछले कुछ वर्षों में सोशल मीडिया की उपयोगिता में कई गुना वृद्धि हुई है। इसका उपयोग कई कामों में हो रहा है, जैसे:

  • पैसों का भुगतान और ट्रांसफर
  • शिकायतों का पंजीकरण
  • दस्तावेजों का आदान-प्रदान
  • शासन की नीतियों का प्रसार
  • शिक्षा और जानकारी की पहुँच

आज के दौर में सोशल मीडिया हमारे दैनिक जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है। तकनीकी विकास के साथ सोशल मीडिया की सुविधाएं और बढ़ रही हैं ताकि आम लोग इससे और अधिक लाभ उठा सकें।

किन क्षेत्रों में सोशल मीडिया का उपयोग बढ़ा है?

सोशल मीडिया का उपयोग हर क्षेत्र में तेजी से बढ़ा है, विशेषकर:

1.  Facebook: 3,070 मिलियन सक्रिय उपयोगकर्ता

2.  YouTube: 2,500 मिलियन सक्रिय उपयोगकर्ता

3.  WhatsApp: 2,000 मिलियन सक्रिय उपयोगकर्ता

4.  Instagram: 2,000 मिलियन सक्रिय उपयोगकर्ता

5.  TikTok: 1,600 मिलियन सक्रिय उपयोगकर्ता

भारत में औसतन हर व्यक्ति रोजाना लगभग 2 घंटे 26 मिनट सोशल मीडिया पर बिताता है।

लोग सोशल मीडिया पर समय क्यों बिता रहे हैं? इसके पीछे कई कारण हैं:

  • सामाजिक जुड़ाव
  • मनोरंजन
  • खबरें और जानकारी प्राप्त करना
  • प्रसिद्धि प्राप्त करना
  • आय के अवसर खोजना

फेक न्यूज़ के प्रसार के कारण:

1. त्वरित सूचना प्रसार: सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़, सच्ची खबरों की तुलना में 70% तेजी से फैलती है।

2. बिना जांचे-परखे सामग्री साझा करना: लोग बिना पुष्टि किए खबरें शेयर कर देते हैं, जिससे गलत जानकारी तेजी से फैलती है।

3. ट्रोल आर्मी का उपयोग: कुछ समूह जानबूझकर झूठी खबरें फैलाने के लिए ट्रोल आर्मी का उपयोग करते हैं, जिससे समाज में भ्रम और अस्थिरता फैलती है।

4. राजनीतिक दुष्प्रचार: चुनावों के दौरान गलत जानकारी फैलाकर मतदाताओं को प्रभावित किया जाता है।

5. डिजिटल साक्षरता की कमी: कई उपयोगकर्ता डिजिटल साक्षरता के अभाव में फेक न्यूज़ की पहचान नहीं कर पाते।

भ्रम के कुछ सामान्य रूप:

सोशल मीडिया पर फैलने वाले भ्रम को कई श्रेणियों में बाँटा जा सकता है, जिनमें कुछ प्रमुख रूप से इस प्रकार हैं:

1. आंशिक सत्य या अधूरी जानकारी: बहुत बार सोशल मीडिया पर अधूरी जानकारी साझा की जाती है। उदाहरण के लिए, किसी घटना के केवल एक हिस्से को दिखाकर ऐसा प्रतीत कराया जाता है जैसे वह संपूर्ण सत्य हो, जबकि वास्तव में वह सच्चाई का एक छोटा सा हिस्सा ही होता है। इससे लोगों में गलत धारणाएं बन जाती हैं और वे अपने मत उसी आधार पर बनाते हैं।

2. प्रतिक्रियाओं में अतिरेक: सोशल मीडिया पर एक छोटी घटना को भी बड़ा बनाकर पेश किया जा सकता है। लोग अपनी व्यक्तिगत भावनाओं के आधार पर उसे तूल देने लगते हैं, जिससे अनजाने में एक छोटा मुद्दा एक बड़ा विवाद बन जाता है। यह प्रतिक्रिया और प्रतिक्रिया की श्रृंखला किसी घटना की वास्तविकता को धुंधला कर देती है।

3. एजेंडा-प्रेरित भ्रम: कई बार सोशल मीडिया पर कुछ समूह या संगठन जानबूझकर अपने एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए भ्रामक जानकारी फैलाते हैं। राजनीतिक दल, प्रचार एजेंसियाँ और अन्य संगठित समूह विभिन्न मुद्दों पर लोगों की राय को प्रभावित करने के लिए गलत खबरों का सहारा लेते हैं। चुनावों के दौरान इसका विशेष रूप से अधिक प्रयोग किया जाता है, जिससे मतदाताओं की सोच और चुनावी नतीजों पर प्रभाव पड़ता है।

4. उपभोक्ता मनोविज्ञान का शोषण: कई बार उपभोक्ताओं का ध्यान खींचने के लिए, कुछ ब्रांड्स और विज्ञापन कंपनियाँ झूठी जानकारी और अधूरी समीक्षा शेयर करती हैं। जैसे कि किसी उत्पाद को चमत्कारी या प्रभावी बताया जाता है, जबकि वास्तविकता में वह उतना उपयोगी नहीं होता। इस प्रकार की खबरें उपभोक्ताओं के निर्णय को प्रभावित करती हैं और अंत में उन्हें आर्थिक नुकसान भी होता है।

5. मानव स्वभाव और वाइरलिटी: मानव स्वभाव में ही कुछ नया और सनसनीखेज जानने की रुचि होती है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे पोस्ट और वीडियो में आमतौर पर ऐसी सामग्री होती है जो सनसनीखेज होती है। बिना पुष्टि किए साझा करना और दूसरों तक पहुँचाना लोगों में रुचि बनाए रखता है, लेकिन यह प्रक्रिया अक्सर सत्य को दबा देती है और भ्रम को बढ़ावा देती है।

झूठे भ्रमों के कारण समाज पर पड़ने वाले प्रभाव:

सोशल मीडिया पर फैले भ्रम के कारण समाज को कई नकारात्मक परिणाम भुगतने पड़ते हैं, जैसे:

  • समाज में अस्थिरता और तनाव: जब झूठी खबरें और भ्रामक जानकारी व्यापक रूप से फैलती हैं, तो यह समाज में अविश्वास और अस्थिरता का कारण बनती है। उदाहरण के लिए, धार्मिक या जातिगत मुद्दों पर फैलने वाली झूठी खबरें सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित कर सकती हैं।

  • मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: निरंतर नकारात्मक और झूठी खबरों का सामना करने से मानसिक तनाव, चिंता और अवसाद की स्थिति पैदा हो सकती है। विशेष रूप से किशोर और युवा पीढ़ी के मानसिक स्वास्थ्य पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, क्योंकि वे आसानी से इन भ्रमों में फँस जाते हैं और अपने आत्म-सम्मान तथा खुशी को प्रभावित होते देखते हैं।

  • डिजिटल साक्षरता का अभाव: कई बार लोग बिना सच की जांच किए किसी भी खबर को मान लेते हैं और उसे आगे बढ़ा देते हैं। इससे झूठे समाचार का प्रसार होता है। डिजिटल साक्षरता की कमी भी भ्रम को बढ़ावा देती है, क्योंकि लोग फर्जी खबरों की पहचान नहीं कर पाते और इनका असर व्यापक होता है।

सोशल मीडिया पर भ्रम से बचने के उपाय:

इस बढ़ते भ्रम से बचने के लिए हमें निम्नलिखित उपाय अपनाने की आवश्यकता है:

1. तथ्य-जाँच: किसी भी जानकारी पर विश्वास करने से पहले उसकी विश्वसनीयता की जाँच करें। आज कई तथ्य-जाँच वेबसाइट्स उपलब्ध हैं जो सोशल मीडिया पर फैलाई गई खबरों की पुष्टि करती हैं।

2. सूचना की विविधता: किसी एक स्रोत की जानकारी पर निर्भर रहने के बजाय, विभिन्न स्रोतों से जानकारी प्राप्त करें ताकि किसी घटना या विषय का संतुलित दृष्टिकोण मिल सके।

3. जागरूकता और सतर्कता: हमें खुद को और अपने आस-पास के लोगों को जागरूक करना होगा कि सोशल मीडिया पर फैलाई जाने वाली हर जानकारी सत्य नहीं होती। जागरूकता बढ़ाने से भ्रम की संभावना को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

4. सोशल मीडिया पर समय का सीमित उपयोग: सोशल मीडिया पर बिताए गए समय को सीमित रखना और उसमें भी केवल सत्यापित जानकारी और सकारात्मक सामग्री पर ध्यान देना उपयोगी हो सकता है।

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